एड्स का इलाज खोजने की कगार पर है भारत

एड्स का इलाज खोजने की कगार पर है भारत

एड्स फैलाने वाले एचआइवी का नैनो पार्टिकल्स से पुख्ता 'इलाज' होने के सुखद संकेत मिल रहे हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और पुणे के नेशनल सेंटर फॉर सेल्स साइंसेज (एनसीसीएस) ने संयुक्त शोध में 81 फीसद एचआइवी वायरस को मार डालने में कामयाबी हासिल की है। वैज्ञानिक अभी वायरस के पूरी तरह सफाए की कोशिश में जुटे हुए हैं। यह शुरुआती सफलता अभी परखनली परीक्षण में मिली है, लेकिन है बहुत बड़ी। उम्मीदों का दीया बनती दिख रही इस दवा का जल्द ही पशुओं पर क्लीनिकल ट्रायल शुरू होगा, फिर इंसानों पर असर परखा जाएगा।

एएमयू में तैयार हुए नैनो पार्टिकल्स एएमयू के इंटरडिस्पिलनरी नैनो टेक्नोलोजी सेंटर (आइएनसी) के डॉयरेक्टर प्रो. अबसार अहमद की अगुवाई में यहा की टीम ने कवक (फंगस) और कुछ पौधों से नैनो पार्टिकल्स तैयार किए। शोधार्थी यह पता लगाने में जुटे हुए हैं कि ये पार्टिकल्स किन रोगों की दवा बनाने में इस्तेमाल हो सकते हैं। सोना, चांदी, प्लैटिनम, ऑक्साइड्स, सल्फाइड्स आदि के नैनो पार्टिकल्स भी यहीं से देश के ख्यातिलब्ध पुणे के नेशनल सेंटर फॉर सेल्स साइंसेज ( एनसीसीएस) को भेजे गए थे।

डेढ़ साल तक चला शोध
एनसीसीएस में ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (एचआइवी) के सफाए पर डेढ़ साल से शोध चल रहा है। प्रो. अबसार अहमद के मुताबिक परखनली में किए गए तमाम प्रयोगों के दौरान नैनो पार्टिकल्स के जरिये 81 फीसद एचआइवी को खत्म करने में कामयाबी मिल चुकी है। यह बहुत बड़ी बात है। इसने एचआइवी के सफाए की बड़ी राह दिखाई है। हालाकि, रिसर्च एक लंबी प्रक्रिया है और इसका लाभ जनता तक पहुंचने में वक्त लगेगा। अभी मानकों की कसौटी पर नैनो पार्टिकल्स की सेफ्टी भी परखेंगे। सुरक्षित मिलने पर सरकार की मंजूरी से दवा का पहले पशुओं और फिर इंसानों में क्लीनिकल ट्रायल करेंगे।

एचआइवी वायरस को ऐसे निष्प्रभावी बनाती है नैनो  
प्रो. अबसार के अनुसार एचआइवी वायरस के ऊपर जीबी120 ग्लाइको प्रोटीन होती है। यह बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसका आकार 20 से 25 नैनो मीटर होता है। पुणे की लैब में वैज्ञानिकों ने 20 से 25 नैनो मीटर आकार वाले सर्कुलर नैनो पार्टिकल्स का इस्तेमाल किया। दोनों को पानी भरे ग्लास में डाला गया। जाच में पता चला कि नैनो पार्टीकल्स ने ग्लाइको प्रोटीन को पूरी तरह से कवर कर लिया है और अब ये उसे बढ़ने नहीं दे रहे। सामान्य पानी में डाले ग्लाइको प्रोटीन की ग्रोथ तेजी से होती रही। इस विधि में नैनो पार्टीकल्स को एचआइवी वायरस में किसी भी तरह से इंजेक्ट नहीं किया गया।

रोग को खत्म करने पर काम
प्रो. अबसार का दावा है कि एचआइवी वायरस के खात्मे के लिए नैनो मैटेरियल का पहली बार इस्तेमाल किया जा रहा है। इस पर हुए सभी शोध मरीजों की उम्र बढ़ाने की जिद्दोजहद से जुड़े रहे हैं। रोग खत्म नहीं हुआ। हम रोग को खत्म करने पर काम कर रहे हैं। हाइलीएक्टिव एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एचएएआरटी) और बी-वैनम इसी तरह के शोध हैं। इनमें साइड इफेक्ट का अधिक खतरा है। बहुत बड़ी बात यह है कि हमारी इस नैनो तकनीक का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

(दैनिक जागरण से साभार)

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।